Home Loan के मामले में मजबूरी में लिया ये फैसला, तो जरूर कर लें ये काम...वरना कोई बैंक नहीं देगा लोन
Written By: सुचिता मिश्रा
Sat, Sep 14, 2024 11:03 AM IST
Home Loan Closure: अगर आप होम लोन न चुकाने की वजह से डिफॉल्टर (Home Loan Defaulter) बन गए हैं और आपने लोन सेटलमेंट (One Time Settlement) का फैसला लिया है तो एक बात ध्यान से समझ लें. होम लोन सेटलमेंट कर देने से आपको हर महीने की ईएमआई चुकाने और रिकवरी एजेंट्स से छुटकारा जरूर मिल जाता है, लेकिन इससे आपका लोन क्लोज नहीं होता. अगर आपने सेटलमेंट करने के बाद लोन क्लोज नहीं करवाया तो आपको भविष्य में कोई बैंक आसानी से कर्ज नहीं देगा. जानिए क्या है सेटल्ड होम लोन को क्लोज करने का तरीका.
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सेटल्ड लोन क्या होता है?
तमाम लोग सेटल्ड लोन को लोन क्लोजर समझ लेते हैं, लेकिन इन दोनों में फर्क है. सेटल्ड लोन बीच का एक रास्ता होता है, जिस पर उधारकर्ता और बैंक दोनों की सहमति होती है. इसमें डिफॉल्टर को अपने बकाया प्रिंसिपल अमाउंट तो पूरा देना पड़ता है, लेकिन इंटरेस्ट अमाउंट के साथ-साथ पेनल्टी और अन्य चार्ज को आंशिक या पूर्ण रूप से माफ किया जा सकता है. लोन सेटलमेंट करने पर बैंक के पास वो पूरी रकम नहीं पहुंचती जो उधारकर्ता को अपने लोन टेन्योर के बीच लौटानी होती है.
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क्या होता है लोन क्लोजर?
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सेटल्ड लोन से बिगड़ती है सिबिल रिपोर्ट
लोन सेटलमेंट करते समय बैंक उधारकर्ता की क्रेडिट हिस्ट्री में सेटल्ड लिख देते हैं. इसका मतलब है कि लोन लेने वाले ने निर्धारित राशि को नहीं चुकाया है. क्रेडिट हिस्ट्री में सेटल्ड लिख जाने का काफी नुकसान होता है. इससे क्रेडिट स्कोर 50 से 100 पॉइंट या उससे भी ज्यादा कम हो सकता है. अगर लोन लेने वाला एक से ज्यादा क्रेडिट अकाउंट का सेटलमेंट करता है, तो क्रेडिट स्कोर इससे भी ज्यादा कम हो सकता है. क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंट स्टेटस सेक्शन में इस बात का जिक्र अगले सात सालों तक रह सकता है. ऐसे में बैंक उस व्यक्ति को विश्वसनीय नहीं मानते और उनके लिए भविष्य में लोन लेना बहुत मुश्किल हो जाता है. बैंक द्वारा ब्लैक लिस्टेड भी किए जा सकते हैं.
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